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उल्लेखनीय है कि रचयिता के अंतर्गत संयुक्त रचियता शामिल है। दिल्ली
उच्च न्यायालय ने नजमा हेपतुल्ला बनाम ओरियंट लांग मेन लिमिटेड एंड अदर्स के
बाद में यह अभिनिर्धारित किया है कि एक पुस्तक का वर्णनकर्ता यानी नेरेटर और लेखेक
पुस्तक का संयुक्त लेखक होता है इस बात के तथ्य निम्नलिख्ति थे।
वादी का कथन था कि
मौलाना आजाद ने अपने जीवनकाल में एक पुस्तक ‘इंडया विन्स फ्रीडम’ लिखी थी। तथ्यों
से यह स्पष्ट था कि प्रोफेसर हुमायुं कबीर जो प्रतिवादी संख्या 6 के पिता थे।
पुस्तक लेखक म े मौलना आजाद से सम्बद्ध थे। प्रतिवादी संख्या 6 का तर्क था कि
इंडिया विन्स फ्रीडम नामक पुसतक एवं उसके पिता और रचचिता मौलाना आजाद द्वारा रची एवं लिखी गई थी। 2 सित्म्बर
1958 को प्रोफेसर हुमायु कबीर और ओरियंट लांगमेन के प्रकाशक के बीच पुस्तक को
प्रकाशित करने के बारे में करारा हुआ। करार में यह भी वर्णित था कि पुस्तक के तीस
पेज जो ओरियंट लांग मेन पब्लिकेशन के पास मुहर बंद सुरक्षित है उनहें नहीं छापा
जायेगा। करार में प्रोफेसर कबीर को पुस्तक का रचनाकार बताया गया था और करार में
यह भी वर्णित था मौलाना आजाद ने अपने जीवनकाल में प्रोफेसर हुमायुं को डिक्टेशन
और कुछ नोट्स दिये थे। उसी साम्रागी में
से प्रोफेसर कबीर ने उक्त पुस्तक रचित की थी जिसे स्वर्गीय मौलाना आजाद
द्वारा वाद में मंजूरी दी गई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया
कि जहा वर्णनकर्ता और लेखक के घनिष्ट बौद्धिक सहयोग से कोई पुस्तक लिखी गई हो और
देानों के बीच उस पुस्तक के लेखन के बारे मे संयुक्त डिजायन हो। वर्णनकर्ता
द्वारा पुसतक की और लेखक के घनिष्ट बोद्धिक सहयोग से कोई पुस्तक लिखी गई हो और
दोनो के बीच उस पुस्तक के लेखन के बारे में संयुक्त डिजायन हो। वर्णनकर्ता
द्वारा पुस्तक की साम्रागी लेखक को इसलिए दी गई कि लेखक उसके विचारों और वार्ताओं
को अंग्रेजी भाषा में लिखे। प्रोफेसर कबीर ने पुस्तक की प्रस्तावना में स्वयं
लिखा है कि उसका कार्य केवल वर्णनकर्ता के निष्कर्ष को अभिलिखित करना है। और
वर्णनकर्ता के दृष्टिकोण केस्थान पर अपना दृष्टिकोण पुस्तक में देना घोर अन्याय
होगा। पुस्तक की प्रस्तावना से यह साफ स्ष्ट होगा कि मौलाना आजाद ने प्रोफेसर
कबीर के साथ पुस्तक के एक एक शब्द को पढ़ा था, आवश्यक संशोधन किया था। मौलाना
आजाद ने ही यह निर्णय लिया था कि पुस्तक के तीस पृष्ट नहीं छापे जायेगे। यह
निर्णीत हआ कि प्रोफेसर कबीर पुस्तक के एक मात्र लेखक नहीं थे बल्कि प्रोफेसर कबीर
और मौलाना आजाद पुस्तक के संयुक्त लेखक थे।
प्रसारण का जो अर्थ
उल्लेख करती है वह निम्नलिखित है। बेतार प्रसारण के किसी माध्यम से, चाहे वह
संकेत, ध्वनि, या दृश्य बिंब के एक या अधिक रूपो में हेा या सार्वजनिक रूप से
संसूचित करना अभिप्रेत है और उसके अंतर्गत
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