Tuesday, 20 March 2018

100 WPM POST-7


 उपसभपति जी मेरे मित्र ने जो सुझाव सदन में रखा है मैा उसका समर्थन करता है क्‍योंकि हम देखते है कि गन्‍ने का उत्‍पादन बढ़ा है और गन्‍ने की कीमत भी माननीय  मंत्री महोदय कहेगे कि धीरे धीरे दिन पर दिन बढ़ाने की कोशिश रहे है और कुछ बड़ी भी है उसके बाद अगर हम तुलना करे तो चीनी का उत्‍पादन भी बढ़ा है और 60 लाख टन से भी ज्‍यादा हुआ है और जहां तक मुझे मालूम  है यह और  भी आगे बढने वाला है।

 हमारे सामने अब यह सवाल आता है कि जब देश में चीनी का उत्‍पादन बढ रहा है तो क्‍या इस पर कट्रोल रहना चाहिए यह एक मुख्‍य सवाल है। इसका  जबाव केवल यह कहकर नहीं दिया जा सकता कि कट्रोल की जरूरत है। बहुत से लोग आज कंट्रोल के खिलाफ है और जैसा कि मेरे माननीय दोस्‍त ने कहा  कि बुनियादी तरीके से यह भी  बाहरी कंट्रोल के खिलाफ है उनका नियम आखरी लक्ष्‍य कंट्रोल नहीं  है। मुझे डर है कि  यह कंट्रोल भी कहीं हिंदुस्‍तान में इस तरह  घर ना कर जाये  जैसे की नजरबंदी कानून  घर कर गया है। और उस की बार बार आयु बढ़ा  दी जाती है। 

इसलिए मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी आज  इस  बात पर प्रकाश डाले की जब देश में चीनी का उत्‍पादन बढ रहा है तो वह कंट्रोल क्‍या नहीं जोड़ देते क्‍या उनको इस देश के व्‍यापरियों पर विश्‍वास नहीं रहा या किसी  के उपर विश्‍वास नहीं रहा। यह बताए आज  देश में किसकी मांग है कि कंट्रोल रहना चाहिए क्‍या यह मिल मालिको की मांग है या व्‍यापारियों की मांग या  उपभोक्‍तओं की मांग  है या सरकार की मांग है । क्‍या जो  दलीले व्‍यापारी हमारे सामने  देते है वह सही है और क्‍या जो बार बार अश्‍वासन दिया गया है उसके  पीछे कुछ  त‍थ्‍य  है यदि नहीं  तेा मैं समझता हूं कि अब  समय आ गया है कि इसके उपर विचार किया जाए 


और सीर‍यसली इस पर विचार किया जाए  कि कंट्रोल रहना चाहिए या नहीं रहना चाहिए। मैं यह एक मिनिट के लिए भी नहीं कहना चाहता हूं कि कंट्रोल को हटाने के पहले ऐसी  बंदशे ना कर ली जाए की कोई दाम बढ जाए क्‍योंकि  आखिर को   हम इंसान की  जिंदगी के साथ और अपने बच्‍चों की जिंदगी के साथ एक्‍सपेरीमेंट  नहीं कर सकते। चीनी  की हालात आपको मालूम है।

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