सभापति
महोदय मैंने रेल मंत्री जी को पत्र भेजा था परंतु जबाव नहीं मिला मैंने सोचा डाक खाने वालों की गलती होगी। इसके बाद मैंने
यहां स्वयं उनहें पत्र दिया पर उस पर भी कुछ विचार नहीं किया गया मैंने समझा कि
यह इसलिए हुआ कि मैं उस क्षेत्र से आता हूं जहा रेल्वे लाइन नही चलती है किंतु
मुझे आज पता चला कि रेल मंत्री जी
की यह परम्परा है कि संसद सदस्यों के
पत्रों का उत्तर ना दिया जाए।
सभापति महोदय यह ठीक है कि उत्तरप्रदेश
के जिस पहाड़ी क्षेत्र में यहा आया हूं वहां रेल्वे लाइन नहीं चलती परंतु वहां से लाखों की संख्या में यात्री सफर करते है
खेद है कि उनहें किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिलती है इसी
प्रकार मैदानी क्षेत्रों से हर साल
लाखों की संख्या में यहा के धार्मिक स्थानों को जाते है किंतु उनको किसी प्रकार की सुविधा प्राप्त नहीं होती है। मेरा
निवेदन है कि इस प्रकार के यात्रियों कें लिए भी उसी प्रकार की सुविधाए मिलनी
चाहिए जिस प्रकार की अन्य पहाड़ी स्थानों पर
जाने वाले यात्रिायों को प्राप्त
होती है।
दूसरा निवेदन यह है कि उस समय जब यात्री
पहाड़ो में घूमने जाते है रेलों की संखया अधिक बढ़ाई जानी चाहिए। मैं
हर सप्ताह देहरादून जाता हूं। मुझे तीसरे दर्जे के यात्रियों पर बड़ी दया आती
है कितना बुरा व्यवहार उनके साथ किया जाता है भेड बकरियों की तरह से सौ दौ
आदमी एक एक डिब्बे में भरे जाते है और
उनकी सुख सुविधाओं को देखने वाला कोई नहीं है इसलिए ऐसे समय में प्रतिदिन जनता गाड़ी अधिक चलाई जाये। जाये। जो गाडि़या
अभी वहां जाती है उनके डिब्बों की संख्या बढ़ाई जाये ताकि यात्रियों को सुविधा हो
सके।
मैं
मत्री महोदय से एक निवेदन और करना चाहता
हूं कि रेल्वे की नौकरियों में पहाड़ी
क्षेत्रों कें लोगों को चाहे वे उत्तरपद्रेश के हो हिमाचल प्रदेश के हो या अन्य
पहाड़ी स्थानों कें हो कोई स्थान नहीं दिया जाता है। रोजगार दफ्तरों कें उनके
नाम भेजे नहीं जाते है और उनको कोई सूचना
नहीं दी जाती है। यदि कोई सूचना दी भी जाती है तो
वह उस समय दी जाती है जबकि वे स्थान
भर जाते है इसलिए मेरा निवेदन है कि पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को रेल्वे
सेवा में स्थान मिलना चाहिए। यह बहुत आवश्यक है।
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