सभापति
महोदय आग लगने के बाद कुआं खोदने की जो प्रथा है वह बंद होनी चाहिए। मैं समझता हूं कि पहले जो राजा थे वे सोचते थे किे दूसरे लोग प्रशिक्षण नहीं ले सकते है लेकिन सवाल यह नहीं है सवाल है देश में
नया अनुशासन पैदा करने का तथा नई सेना
खड़ी करके हमें प्रशिक्षण देना चाहिए। आजकल लोगों में एक हीनता की भावना आ गई
है। मैं समझता हूं कि यह प्रशिक्षण
इसलिए जरूरी है कि लोगों में एक नया बल एक
नया जोश और एक नया अनुशासन पैदा हो।
आज भी
हम सुनते है कि गांवो में हरिजनों
पर अत्याचार होते है हरिजनों पर जो हमले
वहां होते है उनका मुकाबला वह लोग नहीं कर सकते है क्योंकि उनको राईफल चलाने का
ज्ञान नहीं है आज शांतिपूर्ण हरजनों पर
अत्याचार होते है। मैं तो यहां तक कहता
हू कि पुरूषों तक को नहीं महिलाओं को भी यह प्रशिक्षण मिलना चाहिए। आज हम 20 करोड़
रूपए अपनी रक्षा पर खर्च करते है इसके बजाह अगर
देश का बच्चा बच्चा जानदार आदमी बन जाए और राईफल का
प्रशिक्षण लिए हो तो मैं समझता हूं कि इतना पैसा देश के विकास के काम में
खर्च हो सकता है लेकिन हमने कभी भी इस बात को नहीं सोचा। पहले जो इस देश के बड़े
बड़े लोग थे उन्होंने अपनी राईफल ले ली।
उनहोंने
उसको चलाने का प्रशिक्षण ले लिया। यह
समझकर कि यह काम किसी खास जाति का है मेरा
विचार यह है कि आज देश के 56 करोड़ लोग अपने अंदर एक नया आत्मविश्वास और नई शक्ति पैदा करे। इसके लिए यह राईफल प्रशिक्षण सबके लिए अनिवार्य होना
चाहिए। जब यह अनिवार्य होगा तभी लोगों में आत्मविश्वास पैदा होगा और एक नई चेतना
पैदा होगी। इससे लोगों में आत्महीनता की भावना मिट जायेगी और वह समझेगे कि देश की
रक्षा करने की ताकत हम में भी है।
आज जो
हरिजन आदि लोग है उनमें एक बात घर कर गई कि राईफल और बंदूक उनके बस की बात नहीं
है लेकिन यह आत्मरक्षा का सवाल है यह देश की रक्षा का सवाल है। कमी में बच्चा
पनपता है कठिनाई में बच्चा पैदा होता है
जब आप जीवन को नई स्थिति में बदल लेगे तब मस्तिष्क बदलेगा इसलिए मैं कहता हूं कि
देश के लोगों को यह प्रशिक्षण देना होगा।
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