Saturday, 3 March 2018

व्‍यक्ति को एक मुल्‍ती तरह है


व्‍यक्ति को एक मुल्‍ती तरह है। उसे ऐसा वरदान मिला हुआ है कि वह सारी दुनिया को आर्शीवाद दे सकता है वह ऐसे वरदान को सम्‍पन्‍न है कि उसे की जुर्रत कर सकता है। उसके लिए खुलने की कोई जरूरत नहीं है, जो कि सबकुछ कितना अच्‍छा है, कितना मित्रता पूर्ण है। पूरी प्रकृति उसकी मित्र है वह क्‍यों डरने लगा। वह क्‍यो दबता है। वह इस प्रकार आखिर से बच सकता है।
            फरियादी राम के साक्ष्‍य अनुसार घटना दिनांक को वह अभियुक्‍तगण के मुहल्‍ला परिनगर में नगर निगम का रेता लिए था। वह वहां पर रिके के पैसे वसूल करने गया था। इसी दौरन अभियुक्‍तगण ने आकर उसको इस चीज का पैसा ले रहे हो कह कर किसी चीज से आंख के पास मारा जिससे फरियादी को चोटे आई और खून निकला। इसी दौरान घटना स्‍थल पर बीच बचाव करने अन्‍य व्‍यक्तियों के आने पर अभियुक्‍तगण के भाग जाने के कथन किए है। मैने सन्‍यासियों से वह सबकुछ ले लिया है जो उन्‍हें भिन्‍न बनाता है। मैंने उनहे बता दिया है कि अब साल वस्‍त्र पहनना आवश्‍यक नहीं है सभी रंग हमारे है मेरे फोटो वाली माला पहनने की आवश्‍यकता नहीं है, क्‍योंकि मैं कोई मसीहा या पैगम्‍बर नहीं हूं। मेरे पास तुम्‍हे देने को परमात्‍मा नहीं है। मैं केवल तुम्‍हे स्‍वयं को जानने का विज्ञान दे सकता हूं। अत: तुम्‍हें सिर्फ समझना होगा कि मैा केवल एक मित्र हूं।
            फरियादी को चोटे पहुची थी। इस बात की पुष्टि डॉक्‍टर एफ एल मेहरा के कथनों से हेाती है। जिनके द्वारा आहत राम को आई हुई चोटों का डॉक्‍टरी परीक्षण किया था। और उनहोंने आहत के सुर पर कटा हुआ घाट आला पाया था। डॉक्‍टर के कथनानुसार आहत को आई हुई  चोटे परि एवं धारधार वस्‍तु से आना तथा उनकी परीक्षा रिपोर्ट प्रथक पी-2 होने के कथन किए है। उप निरीक्षक आर के साहू ने प्रकरण की संपूर्ण विवेचना की है। इस समय इतनी शिक्षा बढ़ी है, उतनी ही अधीरता भी बढ रही है। पढ़े लिखे लोग अपने लक्ष्‍य प्राप्ति के लिए इस कदर अधीर्ण होते जा रहे  है कि जरा सी रूकावट या देरी उनहे डिप्रेशन की ओर ले जाती है जो थोड़े हिम्‍मत वाले है वे अपने आप को विक्रय कर से बचा लेते है लेकिन चिढ़चिढ़े हेा जाते है। कुल मिलाकर शिक्षा में आदमी को बुद्धि बनाया पर बेताब भी बना दिया।
            एक प्रसन्‍न व्‍यक्ति को एक फूल की तरह है। उसे ऐसा वरदान मिला हुआ है कि वह सारी दुनिया को आर्शीवाद दे सकता है। वह ऐसे वरदान से सम्‍पन्‍न है कि मिलने की जुर्रत कर सकता है। उसके लिए खुलने की कोई जरूरत नहीं है, क्‍योंकि सभी कुछ

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...