Saturday, 3 March 2018

राष्‍ट्रपति पद की सपथ


राष्‍ट्रपति पद की सपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद देश के प्रथम नागरिक बन गए। देश के संविधानिक मुखिया और तीनों सेनाओं के कमांडर। कोविंद अब महामहिम है। संविधान प्रदत्‍त सवोच्‍य शक्तिया राष्‍ट्रपति पद में निहित है। कोविंद ने अपने पहले भाषण में अपनी जीवन यात्रा, देश के वर्तमान और भविष्‍य की रूप रेखा रखी। उन्‍होंने अस्‍वस्‍थ किया कि संविधान की प्रस्‍तावना में उल्‍लखिति न्‍याय, स्‍वतंत्रता, समानता और बंधुत्‍व का एक संयोग पालन करेगे। देश की विविधता और समावेशी विचारधारा को कोविंद ने राष्‍ट्र की अद्वितीय धरोहर बताया। राष्‍ट्रकी प्रगति को समाज के अंतिम मोड पर खंडे व्‍यक्ति तक पहुचने का संकल्‍प किया है। वर्तमान भारतीय समाज में इन मूल्‍यों को वर्करार रखने की अहंम आवश्‍यकता है। कोविंद जिस पृष्‍ठ भूमि से आते है और आज जो उनहोंने अहम मुकाम हासिल किया है वे उस संघर्ष से भंली भांति परिचित है ऐसे मे उनके सामने चुनौतियों और अपेक्षाओं का शिखर भी है। संविधानिक परंम्‍पराओं का निर्वहन करते हुए उन्‍हे एक सफल लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत को आंगे बढाना है। समावेशी समाज की परिकल्‍पना को यर्थाथ में परिरक्षित करने के लिए उनहें एक संरक्षक की भूमिका भी निभानी होगी। विचारधाराओं के भंवर के निकलकर समाज को एक आवृत्‍त और सुमधुर धारा देनी होगी। राजनीति में कोविंद का जुड़ाव किसी पाटी या फिर विचारधारा से रहा है लेकिन अब वे देश के राष्‍टप्रति हैं। जिसमें सब का साथ और सबका विकास नारा नहीं हकीकत में सुनाई और दिखाई दे। देश के दूसरे दलित राष्‍ट्रपति होने के साथ ही कोविंद के दौर में कई अहम और संवेदनशील मसले भी सामने आये है उनहे इनका परिपक्‍व समाधान ढूढना होगा। विदेशी मोर्चो पर तीन और पाकिस्‍तान है तो घरेलु मोर्चे पर जम्‍मू-कश्‍मीर और दार्जिलिंग का मसला है, जहॉ बतौर राष्‍ट्रपति की सलाह बहुत अहंम होगी। संसद के सुचारू संचालन के लिए भी सभी दलों को बेहतर संदेश देना होगा। आने वाले समय में लंबित विधेयकों को मंजूरी देने में भी कोविंद को कसौटी पर परखा जायेगा। वे इस चुनौती को अपने फैसलों के जरिए इस रूप में लेते है, इस पर भी देश की निगाहे रहेगी। बहरहाल, कोविंद ने स्‍वयं स्‍वीकारा और राष्‍ट्र को भरोसा दिलाया है कि वे डाक्‍टर राजेन्‍द्र प्रसाद, डॉ राधा कृष्‍षणन, डॉ अब्‍दुल कलाम और प्रणम मुखर्जी जैसी विभूतियों कें पद चिन्‍हों पर चलेंगे।
         मैं राष्‍ट्रपति के सामने चुनौतियों और अपेक्षाओं का शिखर भी है। संविधानिक परंम्‍पराओं का निर्वहन करते हुए सफल लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत को आंगे बढ़ना है। राष्‍ट्रपति पद की सपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद देश के प्रथम नागरिक बन गए। देश के संविधानिक मुखिया

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...