Thursday, 8 March 2018

Post - 519


374

समय 9 मिनिट 20 सेकेंड


संजय गांधी ने भरपूर संत्‍ता का सुख उठाने वाले परम्‍परागत कांग्रेसियों पर भरोसा करने के बजाह किसी मोर्चे पर संघर्ष के लिए कूंद पढ़ने वालों की टोली को लेकर देशभर में हल्‍ला बोला था। इंद्रा गांधी ने इस टोली में शामिल सभी को स्‍नेह प्रदान किया था। यही वह समय था, जब रेडसाड़ी खिताब के अनुसार सोनिया गांधी राजीव गांधी को इटली चलकर बस जाने के लिए राजी करना चाहती थी। 


संजय गांधी के संघर्ष में उनकी पत्नि मेनका गांधी की बराबर की सहभागिता थी, जो अपनी पत्रिका के माध्‍यम से जनता पार्टी के नेताओं पर सवाल उठाती रही । सोनिया गांधी ने राजीव गांधी  के प्रधानमंत्री बनने तक भारत की  नागरिकता भी नहीं स्‍वीकार की थी। संजय गांधी के दुर्घटना में मृत्‍यु के कारण इंद्रा गांधी ने राजीव गांधी को अपना उत्‍राधिकारी बनाया। 1984 के चुनाव में राजीव गांधी को सुहानुभूति का लाभ मिला। लेकिन वह स्‍थाई नहीं साबित हुआ। इसका भी संकेत रेडसाड़ी में दिया गया है। 


संजय गांधी ने 1975 में आपात स्थिति लागू होने के बाद अतिक्रमण हटाओं पर्यावरण बचाओं और आबादी घटाओं का तीन सूत्रीय कार्यक्रम चलाया था। आवादी घटाओं और अतिक्रमण हटाओं का दुष्‍परिणाम 1977 के चुनाव मे जरूर हुआ लेकिन इन कार्यक्रमों के औचित्‍य पर आज भी कोई प्रश्‍न चिन्‍ह नहीं लगा सका। 


वर्तमान कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए जो मंथन चल रहा है, उसमें एक पक्ष खुलकर राहुल गांधी को पूर्ण अधिकार दिए जाने की वकालत कर रहा है। उसका मानना है कि जो प्रयोग राहुल गांधी ने युवक कांग्रेस में किया है उसे कांग्रेस के लिए भी अपनाना चाहिए। लेकिन  क्‍या राहुल गांधी को पूर्ण अधिकार प्रापत नहीं है? जैसा अधिकार संजय गांधी को इंदिरा गांधी ने दिया था उससे अधिक सोनिया गांधी ने राहुल को दे रखा है। 


जो लोग राहुल गांधी को नेतृत्‍व सौपने के विरोधी भी है, वे मौन है। स्‍ष्‍षट है कि कांग्रेस में राहुल  गांधी का वह विरोध भी नहीं है, जो कि संजय गांधी का था फिर राहुल गांधी क्‍यों कांग्रेस में नई जान फूंकने में सक्षम नही हो पा रहे है? इसका कारण है कि परवरिस की वह परिस्थिति जिसने राहुल गांधी को आत्‍मविश्‍वास युक्‍त और संकल्‍प का धनी नहीं बनने दिया। बदले राजनीतिक परिवेश में कांग्रेस को लीक अर्थात परिवार की भक्ति से हटना पड़ा

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...