Thursday, 8 March 2018

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रूस के महान विचारक टेलेस्‍टाय ने लिखा है कि तम्‍बाकू सेवन शराब से भी बुरा है। धूम्रपान का व्‍यस्‍न  अंतरात्‍मा की आवाज को दबाकर मनुष्‍य को दुष्‍कर्मो की ओर प्रेरित करता है। धूम्रापान करने वाले सैनिको की लडने की शक्त्‍ि कम हो जाती है उनकी स्थिरता आत्‍मविश्‍वास तथा साहस में कमी आ जाती है। रसायन विज्ञान के अनुसार तम्‍बाकू एक खतरनाक विष है। 


बिट्रेन रॉयल कॉलेज आफ फिजीशयन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार तम्‍बाकू मे निकोटिन टॉर, आर्सेनिक तथा कार्बन मोनोऑक्‍साईड नामक चार मुख्‍य हानिकारक विषैले पदार्थ हेाते है। अत: तम्‍बाकू का सेवन करने से इन विषों का शरीर में पहुचना स्‍वाभाविक है। विष मनुष्‍य के लिए प्रतिकूल तत्‍व है। उसका धर्म मनुष्‍य को अमृतत्‍व से मृतयु की ओर बढ़ाना है जिसका शरीर विशाक्‍त होगा उसका मन विष रहित रही  नहीं सकता।


 जिसका मन विशैला होगा उसकी बुद्धि विपरीत हो जायेगी। बुद्धि की विपरीतता से मनुष्‍य की नैतिक मृतयु हेा जाती है। और वह अपराधों एवं अकर्मो की ओर उन्‍मुक्‍त होने लगता है। तम्‍बाकू जैसे मादक पदार्थो से मनुष्‍य की नैतिक मृत्‍यु हो जाती है। वह अपराधों एवं अपकर्मो की ओर उन्‍मुख होने लगता है। तम्‍बाकू जैसे मादक पदार्थो का सेवन ना केवल शारीरिक शक्तियों को ही क्षीण करता है, बल्कि अपने विषैले प्रभाव से मन बुद्धि तथा आत्‍मा तक को निर्बल व मलिन बना देता है। 

तम्‍बाकू का निकोटिन तत्‍व शरीर में पहुचकर रक्‍त में अवांछनीय उत्‍तेजना उत्‍पन्‍न कर देता है। जिससे मानव मन में अनेक प्रकार की विकृतियां जागृत होती जो उसे कुमार्ग की ओर ढकेलती है। विभिन्‍य प्रकार के अपराधी प्रवित्ति के मनुष्‍यों के स्‍वाभावों का  अध्‍ययन करने वाले विशेषज्ञों की राय है कि जिस समय कोई अपराधी असमंजस में पढकर अपराध करने ना करने के विषय में उबकर बीढी सिगरेट का स्‍तेमाल ना करे तो 90 प्रतिशत अपराध करने के विषय में उसका निर्णय निशेधात्‍मक ही होगा। 


तम्‍बाकू सेवन से उसकी अपराध प्रवित्‍त प्रबल हो उठती है। और वह अपराध कर्म में संलग्‍न हो जाता है। अनेक अपराधियों ने अपने कुकर्म पर पश्‍चाते हुए बतलाया कि जिस समय असमंजस की स्थिति में  थे उस समय यदि धूम्रपान ना करते तो अपराध के लिए उनका ढवाडोल इरादा पक्‍का  नहीं होता। तम्‍बाकू का निकोटिन तत्‍व शरीर के टिसू पर विशेषत: केन्‍द्रीय नर्वस सिस्‍टम पर दुस्‍प्रभाव डालता है। जिसके कारण रक्‍तचाप व ह्रदय गति में बृद्धि हो जाती है।


 इससे नशे की आदत बढ़ जाती है। ऐसे बहुत कम लोग देखने को मिलेंगे जो तम्‍बाकू का सेवन करते हो। और जिनके स्‍वाभाव में उत्‍तेजना का दोष ना हो। तम्‍बाकू रक्‍त को उष्‍ण रखती है साथ ही उसका विशैला पभाव मनुष्‍य के मानसिक धरातल को धीरे धीरे गलाकर इतना हीन कर देता है कि वह जरा सी प्रतिकूलता से ही भड़क

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