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प्रतिवादी साक्षी के कथनों के विषलेषण उपरांत स्पष्ट है कि वादी को नगर पालिक निगम, सागर द्वारा दुकान क्रमांक 62 स्थित अवंत बाई काम्पलेक्स अवंती बाई काम्लेक्स सागर आवंटित की गई थी एवं वादी ने उसकी प्रीमियम राशि 80 हजार 250 रूपए प्रतिवादी के पास जमा कर भुगतान किया जाना प्रमाणित पाया जाता है। यद्धपि प्रतिवादी ने उसके अनुबंध पत्र में दुकान के आवंटन में भुगतान की गई प्रीमियम राशि को वापस किए जाने की कोई शर्त नहीं होना बताया है। पहले सन्यास ले लो और तुम्हे सन्यास लेने की जरूरत नहीं पढेगी क्योंकि सन्यास लेने से बढ़कर कोई आत्म हत्या नहीं है। और इसी को किसी को आत्महत्या क्यों करनी चाहिए? मौत तो खुद पर खुद आ रही है – तो तुम इतनी जल्दबाजी में क्यों हो? मौत आयेगी, वो हमेशा आती है तुम्हारे ना चाहते हुए भी वो आती है।
प्रतिवादी साक्षी के कथनों के विषलेषण उपरांत स्पष्ट है कि वादी को नगर पालिक निगम, सागर द्वारा दुकान क्रमांक 62 स्थित अवंत बाई काम्पलेक्स अवंती बाई काम्लेक्स सागर आवंटित की गई थी एवं वादी ने उसकी प्रीमियम राशि 80 हजार 250 रूपए प्रतिवादी के पास जमा कर भुगतान किया जाना प्रमाणित पाया जाता है। यद्धपि प्रतिवादी ने उसके अनुबंध पत्र में दुकान के आवंटन में भुगतान की गई प्रीमियम राशि को वापस किए जाने की कोई शर्त नहीं होना बताया है। पहले सन्यास ले लो और तुम्हे सन्यास लेने की जरूरत नहीं पढेगी क्योंकि सन्यास लेने से बढ़कर कोई आत्म हत्या नहीं है। और इसी को किसी को आत्महत्या क्यों करनी चाहिए? मौत तो खुद पर खुद आ रही है – तो तुम इतनी जल्दबाजी में क्यों हो? मौत आयेगी, वो हमेशा आती है तुम्हारे ना चाहते हुए भी वो आती है।
तुम्हें उसे जाकर मिलने की जरूरत नहीं है, वो अपने
आप आ जाती है। यदि तुम अप्रसन्न हो तो इसका सरलतम अर्थ यह है कि तुम अप्रसन्न
होने की तरकीब सीख गए हो और कुछ नहीं। अप्रसन्ससा तुम्हारे मन के टूटने के दम पर निर्भर करती है। यहां ऐसे लोग है जो हर स्थिति में
अप्रसन्न होते है। वे हर चीज को अप्रसन्सा में बदल देते है। यदि तुम उनहे गुलाब
की सुदरता के बारे में कहो, वे तत्काल कांटों की गिनती शुरू
कर देंगे। लोक इसी पृथ्वी पर नर्क और स्वर्ग दोनों की पैदा करते है। वादी के
कथनों के विष्लेषण उपरांत स्पष्ट परिरक्षित है कि वादी को नगर पालिक निगम सागर
द्वारा दुकान क्रमांक 62 आवंटित की गई थी। जिसकी शर्त अनुसार वादी ने प्रीमियम
राशि 80250 रूपए प्रतिवादी के पास जमा कर भुगतान किया था किंतु न्यायालय के
निर्णय दिनांक 15/07/2005 की डिक्री के पालन में दुकान क्रमांक 62 वा एक अन्य
दुकान तुड़वाकर घ्वस्त किए जाने से वादी उक्त दुकान से उसे प्राप्त होने वाली
रोजी-रोटी के वंचित हो जाता है। अगर तुम कब्जा करना ना चाहो तो फिर कोई भय नहीं
है। अगर तुम्हारी ऐसी कोई इच्छा ना हो कि भविष्य में तुम यह बनाना चाहोगे या वह
बनना चाहोगे तो फिर कोई भय नहीं है। अगर तुम स्वर्ग जाना नहीं चाहते तो कोई भय
नहीं होगा, कोई धर्म गुरू तुम्हें डरा ना पायेगा। अगर तुम
कहीं जाना नहीं चाहते तो कोई भी तुम्हें डरा नहीं पायेगा। अगर तुम इसी क्षण में
जीने लगों तो भय मिट जाता है। भय वासना के कारण पैदा होता है। प्रतिवादी साक्षी के
कथनों के विष्लेषण उपरांत स्पष्ट है कि वादी को नगर पालिक निगम सागर द्वारा
दुकान क्रमांक 62 स्थित अवंतीबाई काम्पलेक्स रजाखेंडी सागर आवंटित की गई थी तथा
वादी ने उसकी
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