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समय
10 मिनिट
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एक
मामले में परिस्थितियां यह निर्दिष्ट करती थी कि वचन पत्र को ऋण के लिए
सांपर्श्विक प्रतिभूति के रूप में ग्रहण किया गया था। वादी के लिए परीक्षण किए गए
साक्षियों कें साक्ष्य से भी यह स्पष्ट होता है कि वचन पत्र ऋण के संपार्ष्विक
प्रतिभूति के रूप में लिया गया था। वादी, जिसका परीक्षण वादी-साक्षी 3 के रूप में
किया गया था, ने कहा था कि वचन पत्र के निष्पादन के लिए कोई प्रस्ताव नहीं था।
किंतु प्रतिवादी ने धनराशि को प्राप्त करने के वाद स्वेच्छा से दस्तावेज को
सौंप दिया था।
वाद पत्र में प्रस्तुत किए गए इस मामले
पर और वादी द्वारा पेश किए गए साक्ष्य पर, यह निर्णय नहीं किया जा सकता कि
प्रोनोट संविदा करने के लिए आशयित था। या ऋण की मूल संविदा वचन पत्र में शामिल हो गई
थी। या वचन पत्र के निष्पादन और पारित करने द्वारा समाप्त हो गया था। दस्तावेज
पर यह दर्शित करने के लिए आंतयिक रूप से कोई साक्ष्य नहीं है कि पक्षकारों का यह
आशय था कि वचन पत्र ऋण के लिए पूर्ण उन्मोचित रूप में कार्य करेगा।
धारा 35 असम्यक रूप से स्टांम्पित रूप
से लिखित के विरूद्ध कोई रोक नहीं लगाती जो लिखित सम्यक रूप से स्टांम्पित नहीं
है उसे किसी व्यक्ति द्वारा साक्ष्य के ग्रहण नहीं किया जा सकता। जिसके पास उसे
ग्रहण करने का प्राधिकार है और इस पर उस व्यक्ति द्वारा या किसी लोक अधिकारी
द्वारा कार्यवाही नहीं की जा सकती।
धारा 35 प्रावधान करता है कि साक्ष्य में
एक बार स्वीकार किए गए लिखत की ग्राह्रता धारा 61 में यथा उपबंधित के सिवाय उसी
वाद का कार्यवाही के प्रकम पर इस आधार प्रश्नगत नहीं किया जायेगा कि लिखत को सम्यक
रूप से स्टांम्पित नहीं किया गया है। वह व्यक्ति, जिसने उस वचन पत्र पर धन उधार
दिया है, जो स्टांम्प में गलती कारण साक्ष्य में ग्राहय है। वचन पत्र के
अतिरिक्त ऋण वसूल करने के लिए वाद दाखिल कर सकता है या नहीं, उन परिस्थितियों पर
निर्भर करता है जिसके अधीन लिखित को निष्पादित किया गया था।
लेकिन इस प्रश्न की लिखत बंध पत्र है या
वचन पत्र, का निर्धारण स्वयं दस्तावेज और पक्षकारों के आशय के आधर पर किया जाता
है। सभी तत्वों और सुसंगत तथ्यों और परिस्थितियों कें विचारण पर न्यायालय का
अभिमत् था कि पक्षकार बंध पत्र को निष्पादित
करने का आशय रखते थे क्योंकि वे लिखत को आदेश पर या वाहक को संदेह बनाने के लिए
शब्दों को नहीं प्रयुक्त किए बल्कि उसे अभिप्रमाणित भी करा लिए। यह लक्षण इस तथ्य
के निर्देशक है कि पक्षकार वचन पत्र की अपेक्षा बंध पत्र को निष्पादित करने का
आशय रखते थे।
स्टांम्प अधिनियम वित्तीय उपाय है, जो
लिखतों के कतिपय संवर्गो पर राजस्व सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
यह वाद के पक्षकार को अपने विरोधी के मामलों के लिए अधिनियमित किया गया था, यह वाद
के पक्षकार को अपने विरोधी के मामले में विरोध
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