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समय 10 मिनिट
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जहां भारत का कोई
न्यायालय, किसी आपराधिक मामले के संबंध में यह चाहता है कि हाजिर होने अथवा किसी
दस्तावेज या अन्य किसी चीज को पेश करने के लिए, किसी व्यक्ति की गिरफतारी के
लिए किसी वारंट का, जो उस न्यायालय द्वारा जारी किया गया है, निष्पादन किसी
संविदाकारी राज्य कें किसी स्थान में किया जाए वहां वह ऐसे वारंट को दो प्रतियों
में और ऐसे प्रारूप में ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को, ऐसे
प्राधिकारी के माध्यम से भेजेगा, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्य
विनिर्दिष्ट करे, और यथास्थिति वह न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट उसका
निष्पादन करायेगा।
इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी, यदि किसी अपराध के किसी अन्वेषण या किसी
जांच के दौरान अन्वेषण अधिकारी या अन्वेषण अधिकारी से पंक्ति में वरिष्ठ किसी
अधिकारी द्वारा यह आवेदन किया जाता है कि किसी ऐेसे व्यक्ति की जो किसी
संविदाकारी राज्य कें किसी स्थान में है, ऐसे अन्वेषण या जांच के संबंध में
हाजिरी अपेक्षित है और न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी हाजिरी अपेक्षित
है तेा वह उक्त व्यक्ति के विरूद्ध ऐसे समन या वारंट को तामील और निष्पादन
कराने के लिए, दो प्रतियों में ऐसे न्यायालय, नयायधीश या मजिस्ट्रेट को ऐसे
प्रारूप में जारी करेगा जो केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्य
विनिर्दिष्ट करे।
जहां भारत किसी न्यायालय को किसी
आपराधिक मामले कें सम्बंन्ध में किसी संविदाकारी राज्य कें किसी न्यायालय, न्यायाधीश
या मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया कोई वारंट किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए प्राप्त हेाता है जिसमें ऐसे
व्यक्त्ि से उस न्यायालय में या किसी अन्य अन्वेषण अधिकरण के समक्ष हाजिर होने
अथवा हाजिर होने और कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने की अपेक्षा की गई है वहां
वह उसका निष्पादन इस प्रकार करायेगा मानों वह ऐसा वारंट हो जो उसे भारत कें किसी
अन्य न्यायालय से अपनी स्थानीय अधिकारिता के भीतर निष्पादन के लिए प्रापत हुआ
है।
जहां उपधारा 3 के अनुसरण में किसी
संविदाकारी राज्य को अंतरित कोई व्यक्ति भारत में बंदी में है वहां भारत का न्यायालय
या केन्द्रीय सरकार ऐसी शर्ते अधिरोपित कर सकेगी जो वह न्यायालय या सरकार ठीक
समझे।
जहां उपधारा 1 या उपधारा 2 कें अनुसरण
में भारत को अंतरित कोई व्यक्ति भारत में बंदी है वहां भारत का न्यायालय या केन्द्रीय
सरकार ऐसी शर्ते अधिरोपित कर सकेगी जो वह न्यायालय या सरकार ठीक समझे।
जहां भारत के किसी न्यायालय के पास यह
विसवास करने के युक्यिुक्त् आधार है कि कसी व्यक्ति द्वारा अभिप्राप्त कोई सम्पत्ति
ऐसे व्यक्त्ि को किसी अपराध के किए जाने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्युत्पन्न
या अभिप्रापत हुई है वहां ऐसी सम्पत्ति की कुर्की या संप्रहरण का कोई आदेश दे
सकेगा जो वह धारा 10 घ से 10 च तक के उपबंधों कें अधीन ठीक समझे।
जहां न्यायालय
ने उपधारा
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