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विचारज न्यायालय ने आवेदिका के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के विपरीत निष्कर्ष निकालते हुए आवेदिका का आवेदन निरस्त
करने में त्रुटि की है। फलत: यह निगरानी स्वीकार कर आलोच्य आदेश अपास्थ करने की
प्रार्थना की गई।
अभियोजन का प्रकरण संक्षेप में यह है कि दिनांक 3 अगसत 2011 को अभियुक्त
सूरज सींग की पत्नि को आग से जल जाने के कारण इलाज हेतु जिला अस्पताल में लाया
गया जिसका पुलिस सहायता केन्द्र द्वारा, जिला अस्पताल में दिया गया, जिस पर से
उसका उपचार प्रारंभ किया गया। उपचार के दौरान दिनांक 4 अगस्त 2011 के सुबह: के
चार बजे उसकी मृत्यु हो गई जिसकी सूचना चिकित्सक द्वारा पुलिस सहायता केन्द्र
जिला अस्पताल को भेजी गई, जिस पर जीरो मार्ग कायम कर प्रकरण जांच में लिया गया
तथा साक्षियों को सूचना देकर मृतिका के शव का नक्शा पंचनामा बनाया गया तथा उसके
शब को शव परीक्षण हेतु आवेदन भरकर जिला अस्पताल भेजा गया, जिस पर से मृतिका के शव
का शव परीक्षण दिनांक 4 अगस्त 2011 को किया जाकर शव परीक्षण रिपोर्ट प्रदान की
गई। तत्पश्चात उक्त मर्ग की सूचना थाना को भेजी गई। जिस पर से आकस्मिक मृत्यु
की सूचना थाना में दिनांक 6 अगस्त 2011 को कॉयम कर प्रकरण जॉच में लिया गया।
प्रकरण जॉच में घटना स्थल का
नक्शा मौका बनाया गया व घटना स्थल से एक प्लास्टिक की पांच लीटर की बॉल्टी व
माचिस की डिब्बी व एक जला हुआ कपड़े का टुकड़ा जप्त कर जप्तीपत्र बनाया गया।
साक्षी के साक्ष्य का मूल्यांकन करते समय दृष्टिकोण यह होना चाहिए कि क्या
समग्र साक्षी का साक्ष्य एक सच्ची श्रृख्ंला प्रतीत होता है।
जब एक बार यह धारणा
बना ली जाये तो निसंदेह न्यायालय के लिए यह आवश्यक है कि संपूर्ण साक्ष्य में
इंगित न्यूनताओं, कमिओं और दोषों को ध्यान में रखते हुए साक्ष्य की समीक्षा की
जाये और यह पता लगाने के लिए उनका मूल्यांकन किया जावे कि क्या वह साक्षी द्वारा
दिए गए साक्ष्य के सामान्य प्रभाव के प्रतिकूल है और क्या साक्ष्य का पूर्णत:
मूल्यांकन अस्थिर हो जाता है जो उसे अविश्वनीय बना देता है।
छुटपूट बातों पर
छोटी छोटी न्यूनताएं जो मामले की जड़ तक
नहीं जाती है, साक्ष्य से यंत्र तंत्र संदर्भ से तोड़ फोड़ पर वाक्य निकालकर अति
तकनीकि दृष्टिकोण अन्वेषण अधिकारी द्वारा की गई किसी तकनीकि गलती को महत्वदेना
जो मामले की जड़ तक नहीं जाती है। साधारणत: सम्पूर्ण साक्ष्य को अस्वीकार करने
की इजाजत नहीं देगी। यदि वह न्यायालय जिसके समक्ष साक्षी साक्ष्य देता है। साक्षी
द्वारा दिए गए साक्ष्य के सामान्य प्रभाव के बारे में राय बना लेने का अवसर था
तो अपील न्यायालय को जिसे यह सुविधा प्राप्त नहीं थी, विचारण न्यायालय द्वारा
साक्ष्य के मूल्यांकन को सम्यक महत्व देना होगा और जब तक बहुत वजनदार और
प्रभावशाली कारण ना हो।
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