Wednesday, 7 March 2018

Post- 510


355

समय 9 मिनिट 30 सेकेंड

संविधान के अतिमहत्‍वपूर्ण अनुच्‍छेद 226 के जरिए उच्‍य न्‍यायालयों की अधिकारिता में एक नवीन तत्‍व का समावेश किया गया जो उच्‍य न्‍यायालय के निर्देश, आदेश या समावेश बंदी प्रत्‍यक्षीकरण, परमादेश प्रतिबंध, अधिकार पृच्‍छा और उत्‍प्रेषण के रूप में हो सकते है। जिनहे मूल अधिकारों के प्रवर्तन या किसी अन्‍य उद्देश्‍य से जारी किया जाता है। 

यह उच्‍च न्‍यायालय की शक्तियों में उल्‍लेखनीय बृद्धि है। संविधान-पूर्व युग में समादेश अधिकारिता के संबंध में उच्‍च न्‍यायालयों की समान शक्तियां नहीं थी। मुख्‍यत: ऐतीहासिक कारणों में चलते विभिन्‍य उच्‍च न्‍यायालयों में कृतिम और पक्षपातपूर्ण विभेद थे। इस प्रकार नये संविधान की पूर्व संध्‍या पर समादेश अधिकारिता के संबंध में उच्‍च न्‍यायालयों की स्थितियां भिन्‍न भिन्‍न थी। प्रत्‍येक उच्‍च न्‍यायालय दण्‍ड प्रक्रिया संहिता की धारा 491 के अंतर्गत वंदी प्रत्‍यक्षीकरण का समादेश जारी कर सकता था। जो इसकी अधिकारिता के सम्‍पूर्ण क्षेत्र में लागू होता था। 

कलकत्‍ता मद्रास और बंबई के उच्‍च न्‍यायालयों में से प्रत्‍येक के पास उसकी सामान्‍य आंरभिक सिविल अधिकारिता की सीमाओं कें अंर्तगत अन्‍य समादेश जारी करने का प्राधिकार था। लेकिन कोई अन्‍य उच्‍च न्‍यायालय बंदी प्रत्‍यक्षीकरण के अलावा कोई और समादेश जारी नहीं कर सकता। नये संविधान द्वारा उच्‍च न्‍यायालयों कें साथ सम्‍मान व्‍यवहार किया गया। अब प्रत्‍येक उच्‍च न्‍यायालय के पास समादेश अधिकारिता है जो उसकी समग्र क्षेत्रीय अधिकारिता के सहवर्ती है। 

मूल रूप में अनुच्‍छेद 226 का शब्‍द विन्‍यास काफी विस्‍तृत था किंतु संविधान 42 वां संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा समादेश अधिकारिता के मामले में उच्‍च न्‍यायालय का शक्तियों पर शक्तिशाली प्रतिबंध आरोपित कर दिए गए थे। किंतु उक्‍त संशोधनो में से अधिकांश को संविधान के 43 वें एवं 44 वें संशोधन द्धारा समाप्‍त कर दिया गया है। 

उच्‍च न्‍यायालय की एक पक्षीय व्‍यादेश एवं स्थिगन आदेश जारी करने की शक्ति में जो कटौती 42वें संशोधन द्वारा की गई थी उसे भी संविधान के 44वें संशोधन द्वारा इस प्रावधान के साथ निरस्‍त कर दिया गया है कि 1 पक्षीय व्‍यादेश एवं स्थिगन आदेश जारी होने की दशा में विपक्षी को न्‍यायालय में उपस्थित होकर उस व्‍यादेश को अपास्‍थ करने का प्रार्थना पत्र देने का अधिकार होगा तथा ऐसा प्रार्थना पत्र आने पर न्‍यायालय को उसका निष्‍तारण

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...