अभियोजन
पक्ष कथन के अनुसार, हमलावरों का मुखिया अपीलार्थी रघुवीर सिंह मोतीसिंह की हत्या
की घटना कारित करने के लिए घटन स्थल पर निहत्था गया था। उसने वहां पड़ी हुई एक
ताडी उठाई और इससे मोतीसींग पर बार किया।
यह बात उचित नहीं लगती है कि हमलावरों का मुखिया, रघुवीर सिंह हत्या कारित
करने के लिए निहत्था गया था। इससे घटना स्थल पर उसकी मौजुदगी संदेहास्पद हो जाती
है। अभियुक्त द्वारा लिया गया चाकू और अभियुक्त द्वारा ली हुई छड़ी घटना स्थल
से रक्त रंजित अवस्था में बरामद किए गए थे। कोई भी अपराधी घटना स्थल पर अपने
आयुध को छोड़ने की भूल नहीं करेगा। अभियुक्त व्यक्तियों की संख्या 13 थी। यहां
अजीब बात है कि उनके पास मोतीसिंह को अनावश्यक रूप से गांव ले जाने के लिए तो
पर्याप्त समय था किंतु अपने ही आयुधों को उठाने का उनके पास समय नहीं था।
अपीलाथियों पर ऐसा कोई दबाव नहीं था जिसकी वजह से उन्हें घटना स्थल पर अपने
आयुधों चाकु और छड़ी को घटना स्थल पर छोड़ दिया था, ना तो प्रथम इत्तिला रिपोर्ट
में उल्लेख किया गया है और ना ही इसका स्पष्टीकरण दिया गया है।
इससे भी अभियोजन के वृत्तांत पर संदेह
पैदा होता है। कुल्हाड़ी अभियुक्तों की नहीं थी और यह घटना स्थल से बरामद भी नहीं
हुई थी। प्रथम इत्तिला रिपोर्ट में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि इसे अभियुक्तों में
से किसी अभियुक्त द्वारा ले जाया गया था।
किसी भी साक्षी ने यह स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि यह कुल्हाड़ी कहा चली
गई। कुल्हाड़ी के गुम हो जाने की बावत् कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जाना अभियोजन
के विरूद्ध जाता है।
हमारे मत में अभियोजन अपीलार्थीगण के
विरूद्ध अपना केस अर्थात पक्ष कथन युक्तियुक्त संदेह से परे सिद्ध करने में सफल
हुआ है। प्रत्यक्षदर्शी विश्वसनीय साक्षी है। उनके द्वारा अभियुक्तगण को झूठे
एवं मिथ्या रूप से फसाने का कोई कारण नहीं है। प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों कें
साक्ष्य में सामजस्य है। मात्र साक्षी संख्या 1 गुलाब चौहान ने भाले वाले तीसरे
अभियुक्त का नाम सतीश के स्थान पर अंबिका बता दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि जुबान
की त्रुटि से वह ऐसा कह गया। साक्षी
क्षतिग्रस्त था। अन्य सभी साक्षियों ने तीसरे भाले वाले अभियुक्त का नाम सतीश
ही बताया है। साक्षी गुलाब चौहान की उपरोक्त त्रुटि नजरअंदाज किए जाने योग्य
है। उनके साक्ष्य व चिकित्सकीय साक्ष्य
में भी सामजस्य है।
No comments:
Post a Comment