आवेदक
के द्वारा यह क्लेम याचिका मोटर दुर्घटना के परिणाम स्वरूप स्थाई निर्योग्यता
उत्पन्न होने के आधार पर कुल दो लाख रूपए प्रतिकर दिलाए जाने हेतु प्रस्तुत की
गई है। आरोपी पर भारतीय दण्ड विधान की धारा 363 एवं 366 एवं पास्कों एक्ट की
धारा 5 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप है कि उसने दिनांक 26 फरवरी 2015 को शाम
4 बजे ग्राम इंदौर से अभियोत्री को उसकी विधिपूर्ण व्यपहरण अथवा विवाह के लिए
विवश किया। एवं उसके साथ बार-बार बलात्संग किया एवं अभियोत्री को भगाकर ले जाकर
लैंगिंक हमला कारित किया।
न्यायदृष्टांत विरूद्ध मध्यप्रदेश राज्य
2007 एवं में माननीय उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि जहां जप्तीकर्ता
अधिकारी ने इस तथ्य को साबित नहीं किया कि कैसे जुआं खेला गया, जुएं के खेलने की
प्रक्रिया स्पष्ट नहीं की गई, केवल कुछ पर्ची एवं करेंसी नोट अभियुक्त के कब्जे
से जप्त किए गए। स्वतंत्र
साक्षी पक्ष विरोधी हुए उनसे जप्ती साबित नहीं हुई। शेष पुलिस साक्षी जप्तीकर्ता
पुलिस अधिकारी के सहायक थे ऐसे में धारा
4 के मामले में प्रमाणित नहीं माना गया।
सार्वजनिक द्रूत अधिनियम की धारा 4 के
अनुसार खेल के अन्य रूप से संबंधित अंको और तस्वीरों को मुद्रित करने अथवा
प्रकाशित करने के लिए दण्ड जो कोई खेल के किसी अन्य रूप को किसी शीर्ष के चाहे
जो कुछ भी हो अधीन अथवा किसी रूप की युक्ति को स्वीकार करके किसी अंकों, प्रतीकों
अथवा तस्वीरों अथवा ऐसी किसी भी दो अथवा ऐसे अंकों, प्रतीकों अथवा तस्वीरों अथवा
उनमें से किन्हीं दो अथवा दो अथवा उससे अधिक के संयोजन से संबंधित सूचना को आत्मसात
करेगा। अथवा आत्मसात करने का प्रयत्न करेगा। आत्मसात करने का दुष्प्रेरण करेगा
ऐसे कारावास से जो छह मास तक का हो सकेगा। और ऐसे जुर्माने से जो एक हजार रूपए कि
सीमा तक हो सकेगा, दण्डनीय होगा।
केस डायरी का अवलोकन किया गया। आरोपीगण से
उनकी गिरफ्तारी के संबंध में पूछा गया। आरक्षीकेन्द्र कोतवाली द्वारा आरोपीगण को गिरफ्तार किए जाने की सूचना दिए जाने का उल्लेख किया गया तथा
आरोपीगण द्वारा भी उनकी गिरफ्तारी की सूचना उनके परिजनों को होना बताया।
संबंधित अपराध में विहित अवधि के दौरान
चालानी कार्यवाही पूर्ण नहीं होने से आरोपी का न्यायिक रिमाण्ड दिनांक 29 जनवरी
2016 तक स्वीकार किया जाता है। उक्त दोनों आरोपीगण को न्यायिक अभिरक्षा में
लिया जाकर जेल वारंट द्वारा केन्द्रीय जेल भेजा जावे। आरक्षी केन्द्र को
निर्देशित किया जाता है कि वे आगामी अभियोग पत्र प्रस्तुति की कार्यवाही संबंधित
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे।
केस डायरी के अवलोकन से विदित होता है कि
एक अन्य अपराध पंजीबद्ध अंतर्गत आरक्षीकेन्द्र कोतवाली में चोरी गया सामान बरामद
करना है एवं पूछताछ करनी है जिसके लिए पुलिस रिमाण्ड चाहा गया है।
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