Saturday, 28 April 2018

42 WPM


अभियुक्‍त चेक राशि एवं न्‍यायालय द्वारा संगणित ब्‍याज और प्रतिकर राशि न्‍यायालय में जमा जमा करने हेतु तत्‍पर था, तब माननीय सर्वोच्‍य न्‍यायालय ने व्‍यक्‍त किया है कि यदि अभियुक्‍त न्‍यायालय द्वारा संगणित प्रतिकर ब्‍याज राशि विचारण के दौरान जमा कर देता है तो न्‍यायालय वह राशि जमा हो जाने पर धारा 258 दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कार्यवाही रोक सकता है जिसका परिणाम उन्‍मुक्ति होगा। इस प्रकरण में ऐसी स्थिति प्रकट नहीं होती है। ब्‍याज राशि भी अभियुक्‍त ने न्‍यायालय द्वारा निर्णय पारित किए जाने के पश्‍चात निर्णय में दिए गए निर्देशानुसार जमा की है। विचारण न्‍यायालय के समक्ष कार्यवाही पूर्ण हो चुकी थी और निर्णय पारित हो चुका था। ऐसी स्थिति में धारा 258 दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार कार्यवाही संभव नहीं है। अत: तथ्‍य भिन्‍न होने से यह न्‍यायदृष्‍टांत अभियुक्‍त को सहायक नहीं है।
       इस न्‍यायालय में पुनरीक्षण के आधार यह दिए गए है कि अभियुक्‍त वाहन का पंजीकृत स्‍वामी है और आवेदक वादी साक्षी उक्‍त वाहन का मुक्‍तारनामा होने के नाते संचालन कर रहा था। आवेदक अनाज का व्‍यापारी है और वह अनाज को बाजार से क्रय कर विक्रय करने के लिए ले जा रहा था। विचारण न्‍यायालय के समक्ष आवेदक ने अनाज की क्रय रशीदे प्रस्‍तुत की थी। इन तथ्‍यों पर विचारण न्‍यायाल ने ध्‍यान ना देकर त्रुटि की है विचारण न्‍यायालय ने अपराध की पुनरावृत्ति के आधार पर आवेदन निरस्‍त करने में त्रुटि की है। जिला दण्‍डाधिकारी द्वारा वाहन को राजसात करने की कार्यवाही प्रारंभ कर देने के आधार पर विचारण न्‍यायालय ने आवेदन निरस्‍त किया है, जबकि खाद्रय एवं अनाज प्रतिशेध अधिनियम एवं जप्‍ती निवारण अधिनियम में राजसात किए जाने की कार्यवाही की सूचना मिलने पर न्‍यायिक दण्‍डाधिकारी के सुपुर्दगी संबंधी अधिकार प्रभावित नहीं होते है।
       वाहन थाने में खुले में पढ़ा है, जिसके क्षतिग्रस्‍त होने की संभावना है। अत: पुनरीक्षण स्‍वीकार कर विचारण न्‍यायालय का आदेश निरस्‍त करने एवं उक्‍त वाहन पुनरीक्षकर्ता को सुपुर्दगी में दिए जाने की मांग की गई है।
       निरीक्षणकर्ता के विद्यवान अभिभाषक द्वारा प्रस्‍तुत माननीय मध्‍यप्रदेश उच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश की प्रतिलिपी के अनुसार यह स्थिति स्‍पष्‍ट है कि खादय एवं अनाज प्रतिशेश अधिनियम के अंतर्गत आवकारी अधिनियम के अनुरूप ऐसा प्रावधान नहीं है कि जिला मजिस्‍ट्रेट द्वारा वाहन के राजसात की कार्यवाही प्रारंभ कर देने की सूचना मिलने पर न्‍यायिक दण्‍डाधिकारी को अंतरिम सुपुर्दगीनामा पर वाहन देने का अधिकार नहीं रहता है परंतु इस प्रकरण में विद्यवान न्‍यायिक दण्‍डाधिकारी द्वारा आवेदक का सुपुर्दगीनामा आवेदन इस आधार पर निरस्‍त नहीं किया है कि जिला मजिस्‍ट्रेट द्वारा वाहन के राजसात की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई थी।

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