Saturday 28 April 2018

42 WPM


अपीलार्थी की ओर से अपील ज्ञापन में  बताए आधारों पर विचारण न्‍यायालय द्वारा पारित आलोच्‍य निर्णय व आज्ञाप्ति को प्रश्‍नगत किया गया है। अपीलार्थी की ओर से तर्क के दौरान व्‍यक्‍त किया है कि वादी की ओर से लगायत 3 के दस्‍तावेज व मौखिक साक्ष्‍य कब्‍जे के संबंध में पेश की गई थी। जिस पर विचारण न्‍यायालय ने गंभीरता से विचार नहीं किया ना ही  विश्‍वास किया। आलोच्‍य निर्णय का उक्‍त आदेश के आधार पर लिखा गया है, जबकि वादी ने अपनी साक्ष्‍य से अपना वाद पूर्णत: प्रमाणित किया है। अत: विचारण न्‍यायालय द्वारा पारित आलोच्‍य निर्णय तथ्‍य विधि विरूद्ध होने से निरस्‍त किए जाकर अपीलार्थी की अपील स्‍वीकार कर वाद विचार किए जाने का निवेदन किया है।
       आवेदक साक्षी ने अनावेदक की ओर से किए गए प्रतिपरीक्षण मे स्‍वीकार किया है कि उसका पुत्र जन्‍मजात से विकलांग होकर चलने में अस्‍मर्थ है। उसके तथा अनावेदक के खेत पर जाने का एक ही रास्‍ता है। इस बात को भी अस्‍वीकार किया है कि रास्‍ते को लेकर उनके बीच विवाद है। इस साक्षी ने घटना की रिपोर्ट दिनांक 07 मार्च 2012 को की जाना बताया है किंतु अपने पुत्र व अपनी  जन्‍म दिनांक के संबंध में कोई तिथि नहीं बता पाया है। साक्षी का कथन है कि उसने डॉक्‍टर को घटना के बारे में बता दिया था। डॉक्‍टर शरद जैन में घटना की कोई सूचना थाने में नही दी थी। इसके विपरीत अनावेदक ने अपने कथन में बताया है कि प्रश्‍नगत् वाहन से कोई दुर्घटना नहीं हुई थी। आवेदक द्वारा उसके विरूद्ध असत्‍य प्रकरण पेश किया गया है। आवेदक की ओर से किए गए प्रतिपरीक्षण में साक्षी ने स्‍वीकार किया है कि उसके विरूद्ध पुलिस द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है, किंतु स्‍वत: साक्षी का कहना है कि प्रकरण का फैसला हो गया है और वह दोषमुक्‍त हो गया है।
       तर्क के दौरान अपीलार्थी के विद्यवान अधिभाषक द्वारा माननीय सर्वोच्‍य न्‍यायालय द्वारा अपील में  पारित निर्णय दिनांक 05 जून 2015 की प्रतिलिपी प्रस्‍तुत करते हुए तर्क किया गया है कि अपीलार्थी ने चेक राशि एवं न्‍यायालय द्वारा निर्णय में उल्लिखित ब्‍याज राशि जमा कर दी है। अत: माननीय सर्वोच्‍य न्‍यायालय द्वारा उक्‍त निर्णय अनुसार वह उन्‍मुक्ति या दोषमुक्ति का पात्र है। इस तर्क पर विचार किया जावें तो विचारण न्‍यायालय के अभिलेख अनुसार दिनांक 31 जून 2016 को प्रकरण के लंबित रहते दौरान अभियुक्‍त कथन के प्रकम पर चैक राशि लाख रूपए न्‍यायालय में जमा की है। उस समय न्‍यायालय द्वारा ना जाक ब्‍याज या प्रतिकर की कोई गणना की गई थी और ना ही अभियुक्‍त की ओर से ऐसा कोई आवेदन प्रस्‍तुत किया गया था।

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