मुझे
खेद है कि मैं उपर्युक्त दलीलों से सहमत नहीं हो सकता। अभियोजन साक्षी 3 ने जो
उसकी माता है, दृणतापूर्वक न्यायालय के समक्ष यह अभिसाक्ष्य दिया है कि यद्धपि
वह जीवन से उदासीन थी क्योंकि उसके कोई बच्चा उत्पन्न नहीं हो सका था। तथापि
इस बात ने उसे आत्महत्या करने के लिए प्रेरित नहीं किया। इसके अतिरिक्त उसकी
गर्भधारण की अक्षता ऐसी जल्दबाजी में आत्महत्या करने के लिए तुरंत प्रकोपन गठित
नहीं कर सकती।
इसके प्रतिकूल उसकी चाची के मकान में घटित
घटना से जैसा कि अभियोजन साक्षी चार और पांच ने बताया है स्पष्टत: यह उपदर्शित
होता है कि अभियुक्त उसकी तलाश में अभियोजन साक्षी 5 के मकान तक आया था और उसने
उससे वहां मिलने के पश्चात मकान के पिछले भाग में झगड़ा किया था। वह उस मकान में
अपनी चाची की जो अभियोजन साक्षी 5 की माता थी, मृत्यु पर चालीसवीं के समारोह में
आई थी। अभियुक्त अपनी पत्नि से जो उस मकान में खाना तक नहीं खा सकी। झगड़ा करने
के पश्चात उसे उस मकान से घसीटते हुए ले गया था।
यह घटना अभियोजन साक्षी 4 और अभियोजन साक्षी 5 ने देखी थी। अभियोजन साक्षी
5 ने उसको अपने मकान में वापस आने और तत्पश्चात
खाना खाकर जाने के लिए कहा था उसने रास्ते में यह देखा कि अभियुक्त और उसके बीच
झगड़ा हो रहा है और अभियुक्त बल पूर्वक उसकी खाली चैन छीन रहा था यह घटना एएलपी
स्कूल के निकट हुई थी घटना उसके मकान के रास्ते में हुई थी और उसने स्कूल अहाते
में स्थित कुएं में कूंदकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी अभियुक्त ने अपनी
पत्नि के आत्म हत्या करने के आचरण के बारे में जानकारी होने पर साक्ष्य बनाने
के लिए मकान की खिड़की से जिस पर किवाड़ नहीं था। मेज पर खाली चेन अर्थात मंगल
सूत्र फेंक दी। अभियुक्त द्वारा ऐसा स्वयं को बचाने के लिए और निदोष साबित करने
के लिए किया गया था। यदि किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के लिए समन किए
जाने पर कोई साक्षी शमन के पालन में किसी निश्चित स्थान और समय पर हाजिर होने के
लिए वैध रूप से आबद्ध है और न्यायसंगत कारण के बिना उस स्थान पर या समय पर हाजिर
होने में उपेक्षा या हाजिर होने से इंकार करता है। अथवा उस स्थान से, जहां उसे
हाजिर होना है, उस समय से पहले चला जाता है जिस समय चला जाना उसके लिए विधिपूर्ण
है और जिस न्यायालय के समक्ष उस साक्षी
को हाजिर होना है उसका समाधान हो जाता है कि न्याय के हित में यह समीचीन है कि
ऐसे साक्षी का संक्षेपत: विचारण किया जाये तो वह न्यायालय उस अपराध का संज्ञान कर
सकता है। और अपराधी को इस बात का कारण दर्शित करने का कि क्यों ना उसे इस धारा के
अधीन दण्डित किया जाये। अवसर देने के पश्चात उसे 100 रूपए से अनधिक जुर्माने का
दण्डादेश दे सकता है।
No comments:
Post a Comment