Friday, 27 April 2018

Dictation hindi


वन परिक्षेत्राधिकारी की ओर से अपरलोक अभियोजक द्वारा आरोपीगण को जमानत ना दिए जाने के संबंध में आपत्ति आवेदन में दस्‍तावेज पेश किया, जिसकी प्रति आवेदकगण एवं आरोपीगण के अधिवक्‍ता को दी गई, उनके द्वारा कोई जबाव ना दिया जाना व्‍यक्‍त किया गया तथा आरोपीगण की ओर से भी सूची मुताबिक दस्‍तावेज पेश किया गया। जिसकी प्रति अपरलोक अभियोजक को दी गई।
     अपीलार्थी की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि उसका आरोपी के घर में आना जाना था और ऐसी स्थिति में गृह अतिचार नहीं माना जा सकता। अपने पक्ष समर्थन में एक न्‍याय दृष्‍टांत प्रस्‍तुत किया है जिसके अनुसार भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 363, 452 के अपराध में अपीलार्थी का अभियोत्री के घर आना जाना होने से व्‍यपहरण के संबंध में गृह अतिचार नहीं माना जा सकता। वर्तमान प्रकरण में घटना मध्‍य रात्रि के लगभग की है। फरियादी अपने मकान में खाना खा रहा था तब अपीलार्थी लाठी लेकर उसके घर के अंदर प्रवेश करता है। भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 452 के अनुसार, उपहति हमला किया या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्‍चात गृह अतिचार के संबंध में गृह अतिचार का भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 442 में परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार जो कोई किसी निर्माण जो मानव निवास के रूप में उपयोग में आता है या किसी निर्माण में जो उपासना स्‍थल के रूप में या किसी संपत्ति की अभिरक्षा के स्‍थान के रूप में उपयोग में आता है प्रवेश करके या उसमें बना रहकर आपराधिक अतिचार करता है, वह गृह अतिचार करता है, यह कहा जाता है।
     परिसीमा अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत प्रस्‍तुत आवेदन में यह तथ्‍य उल्लिखित किया है कि पुनरीक्षकर्ता दिनांक तक की अवधि में किसी घातक बीमारी से ग्रहस्‍था था इस कारण आदेश दिनांक से विहत 90 दिवस के भीतर अर्थात प्रकरण दिनांक को पुनरीक्षण प्रस्‍तुत नहीं की जा सकी। आवेदन के समर्थन में स्‍वयं का श्‍पथपत्र प्रस्‍तुत किया है। साथ ही डॉक्‍टर का इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया है कि पुनरीक्षकर्ता दिनांक की अवधि में किसी घातक बीमारी से पीडि़त था । आवेदन में उल्लिखित कारण समाधानप्रद होने से धारा 05 परिसीमा अधिनियम का आवेदन स्‍वीकार किया जाता है और विलंब को  उल्लिखित किया जाता है।
     आवेदक के विरूद्ध आरक्षी केन्‍द्र द्वारा धारा 302 भारतीय दण्‍ड संहिता की अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर पूर्ण अन्‍वेषण उपरांत अभियोग पत्र प्रस्‍तुत किया गया, जो विवेचना उपरांत इस न्‍यायालय को प्राप्‍त हुआ  तथा प्रकरण के  रूप में दर्ज होकर इस न्‍यायालय में विचाराधीन है। आवेदक मृतिका का पति है। मृतिका के पति के द्वारा उसे  जान से मारने की नियत से मृतिका पर मिट्टी का तेल डालकर  माचिस से आग लगाकर गंभीर रूप से घायल किया।

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