निर्वचन
का यह सिद्धांत जिसमें यह अपेक्षा की गई है कि किसी संवैधानिक उपबंध के बारे में
निश्चित रूप से अर्थान्वयन संकुचित और निर्वबंधित अर्थो में नहीं किया जायेगा
बलिक व्यापक और उदार पूर्वक रीति से किया जायेगा जिससे कि परिवर्तवतशील अवस्थाओं
और प्रयोजनों की प्रत्याशा की जा सके। और उसे विचारगत किया जा सके। जिससे की
संवैधानिक उपबंध क्षीण ना हो जाये और ना ही आस्वभूत हो जाये। बल्कि वह पर्याप्त
रूप से लचीला बना रहे ताकि वह उद्भूत होने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर खरा उतर
सके। संविधान द्वारा अधिनियमित आधारभूत अधिकार के संबंध में अधिक बल पूवर्क लागू
होता है इसलिए जीवन संबंधी आधारभूत अधिकार जो कि सर्वोच्य मूल्यवान मानवीय
अधिकार है और जो सभी अन्य अधिकारों का शिखर स्वरूप है उसके बारे में यह आवश्यक
है कि उसका निर्वचन व्यापक और विस्तीर्ण भावना से किया जाये जिससे कि इसे महत्वपूर्ण
और मार्मिक बनाया जा सके। जिससे की वह आने वाले अनेक वर्षो के लिए अनश्वर बना रहे। और व्यक्ति की गरिमा और
मानवमात्र के महत्व को वर्धित कर सके। सर्वोच्य न्यायालय द्वारा उपर्युक्त
उद्दत विनिर्णयों के माध्यम से प्रतिपादित संविधान के निर्वचन का सिद्धांत और
संविधानिक दर्शन का किसी विवाद में खण्डन नहीं किया गया है। किंतु मामले का बिंदु
वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से संबंधित यह है कि प्रश्नगत प्रथम
इत्तिला रिपोर्ट संगेय अपराधो का करना प्रकट करती है और इस प्रक्रम पर उक्त प्रथम
इत्तिला रिपोर्ट दर्ज करने में असद्भावना की अंतग्रस्तता अब निर्धारित नहीं की जा
सकती है। हमें पूर्ववर्ती पैराग्राफों में की गई विस्तृत चर्चा में इस रिट याचिका
में कोई गुणागुण नहीं दिखाई देता है पैरा राजनीति से नैतिक मूल्यों का एवं
सिंद्धांतो का निरंतर ह्रास होता जा रहा है सत्ता पाने के लिए राजनेता झूठ और
फरेब का सहारा लेने लगे है तथा प्रलोभनों से जनता को गुमराह करने जा रहे है। चूकि हमारा शासन
राजनीतिक दलों में खातों में है इसलिए हमारी सुरक्षा और विकास इन पर ही निर्भर है।
वर्ष 1951 से भारत में उदारीकरण और आर्थिक सुधार नीति लागू की गई जिसके कारण देश आर्थिक
तरक्की करने लगा परंतु सत्ता की भूंख ने देश को विभाजित करने वाले मुद्दों को
हवा दी। धर्म व राजनीति दोनो अपनी अपनी जगह स्वतंत्र है आज भी इन स्वार्थ
प्रेरित भावनाओं से हमें एकता अखण्डता धर्मनिरपेक्षता आर्थिक व सामाजिक असमानता
रोजगार शिक्षा व उन्नति और विकास की समस्याओं कें हल के रास्ते से भटकाने के
प्रयास किए जा रहे है। शास्वत सत्य यह है कि यह विभिन्य धर्म भाषा और वेषभूषा
ही हमारी संस्कृति की अंतर्राष्ट्रीय पहचान है।
Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC, Steno Exam With Matter
Friday, 27 April 2018
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