Wednesday, 18 April 2018

hindi 2


इस प्रकरण में गाडी के चालक ने अचानक सड़के बीच मे ब्रेक लगा दिए पीछे से आ रही कार की ट्रक से टक्‍कर हो गई तथा कार में बैठे चार व्‍यक्तियों की मौके पर ही मृत्‍यु हो गई। उक्‍त प्रकरण में चालक का बचाव लिया गया कि कार के चालक ने सुरक्षित दूरी नहीं रखी थी अधिकरण ने ट्रक चालक को दुर्घटना के लिए जिम्‍मेदार माना जबकि माननीय उच्‍च न्‍यायालय ने अधिकरण के आदेश को संशोधित किया तथा दोनों वाहन चालकों को दुर्घटना के लिए बराबर का उत्‍रदायी माना उपरोक्‍त न्‍यायदृष्‍टांत के प्रकाश में बीमा कंपनी की ओर से तर्क किया गया कि इस प्रकरण में भी दुर्घटना में दोनों वाहन चालको की लापरवाही है तथा दुर्घटना मृतक बहादुर सिंह की लापरवाही से भी हुई है तथा बीमा कंपनी के तर्को तथा उपरोक्‍त वर्णित न्‍यायदृष्‍टांतों के प्रकाश में अभिलेख पर आई साक्ष्‍य का बारीकी से परिशीलन किया जाना आवश्‍यक है। विधि का यह भी सुस्‍थापित सिद्धांत है कि इस तरह के आवेदन में आवेदक को अपना पक्ष आपराधिक मामलो की तरह संदेह से परे प्रमाणित नहीं करना होताहै। वास्‍तव में सुख और दुख की अवधारणा ही दोषपूर्ण है। मनुष्‍य कर्मो की पूंजी एकत्र करता चले तो वह सुख और दुख से  उपर उठ जाता है और वह शांत अवस्‍था प्राप्‍त कर लेता है। मनुष्‍य को उसके कर्मो के अनुसार ही फल मिलना है। हर मनुष्‍य को जीवन में सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा चाहिए। माना जाता है कि जीवन में परम सुख इसी से मिलता है। धन, सम्‍पदा, कुल, वंश, ज्ञान और पद की प्राप्ति की मनोरथ तो समाज में सम्‍मान पाने का सिद्धांत है। सद्गुणों से प्राप्‍त स्‍थाई रहता है किंतु एेसा मनुष्‍य उस आत्मिक अवस्‍था को प्राप्‍त कर चुका होता  है। जहां मान व अपमान, निंदा और स्‍तुति उसके लिए आवश्‍यक हो जाते है। मान अपने कर्म करते जाने से ही उसे असीम आनंद मिलता है जिन कार्यों से आत्‍मसंतुष्ठि मिले, वे ही सद्कर्म है और सद्गुणों के प्रतीक है और इनसे ही जीवन का बना रहता है मनुष्‍य के पास इस कर्मो को करने के लिए समय ही नहीं है। इस अभाव के कारण ही आज का मनुष्‍य इधर उधर भटक रहा है।
         उक्‍त प्रकरण में जहां से जांच प्रतिवेदन प्राप्‍त हुआ, नमूने को उच्‍च स्‍तर का घोषित किया गया तथा विक्रेता के विरूद्ध खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 26, 31 सहपठित धारा 51 एवं 58 में परिवादपत्र प्रस्‍तुत किया गया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा अपीलार्थी को खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 26 एवं 31 का उल्‍लंघन पाते हुए कार्यवाही हेतु परिवाद न्‍याय निर्णायक अधिकारी खाद्य सुरक्षा एवं अतिरिक्‍त जिला दण्‍डाधिकारी के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। उक्‍त प्रकरण का अवलोकन करने से यह पाया गया कि परिवादी ने शासन के नियमों की अवहेलना की है जो कि अपराध की श्रेणी में आता है।

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...