Wednesday, 18 April 2018

hindi dictation


अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील का सारांश इस प्रकार है कि अपीलार्थी एवं वादी ने एक व्‍यवहारवाद न्‍यायालय में प्रस्‍तुत किया था। यह बात  उक्‍त दिनांक को वादी की अनुपस्थिति में निरस्‍त हो गया था, जिसे नम्‍बर पर पुन: स्‍थापित करने के लिए वादी ने एक आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 9 नियम 4 सिविल पक्रिया के तहत प्रस्‍तुत किया था, तत्‍पश्‍चात प्रकरण विचारण न्‍यायालय में स्‍थानातरित हुआ। विचारण न्‍यायालय द्वारा आवेदन पत्र यह कहकर निरस्‍त कर दिया कि आवेदन पत्र परिसीमा अधिनियम के अनुच्‍छेद 122 द्वारा निर्धारित अवधि 20 दिन के अंदर प्रस्‍तुत नहीं किया गया। जबकि आवेदन 29 दिन के भीतर ही प्रस्‍तुत किया गया था। विचारण न्‍यायालय का उपरोक्‍त निष्‍कर्ष त्रुटिपूर्ण है अपीलार्थी के पिता का मुख्‍तारनामा है मूल मुख्‍तारनामा गुम हो गया है। मुख्‍तारनामा की फोटोकॉपी आवेदन के साथ प्रस्‍तुत  की गई है। अपीलार्थी ने विचारण न्‍यायालय के समक्ष प्रकरण को पुन: स्‍थापन करने के लिए पर्याप्‍त आधार प्रस्‍तुत किए है। दिनांक 18 फरवरी 2015 को प्रकरण कार्यलय प्रतिवेदन हेतु नियत था, इस कारण विचारण न्‍यायालय को प्रकरण अदम पैरवी में निरस्‍त नहीं करना चाहिए था। अत: अपील स्‍वीकार कर मूल प्रकरण पुन: सथापित किया जाए।
         उभयपक्ष के मध्‍य इस बिंदु पर कोई विवाद नहीं है कि अपीलार्थी एवं वादी का मूल व्‍यवहार प्रकरण क्रमांक दिनांक 18 फरवरी 2015 की वादी की अनुपस्थिति में निरस्‍त किया गया था। इस बिंदु पर भी कोई विवाद नहीं है कि वादी ने अपने मूल प्रकरण को पुन: स्‍थापित करने के लिए आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 9 नियम 4 सिविल प्रक्रिया संहिता दिनांक 19 मार्च 2015 को प्रस्‍तुत किया था। इस बिंदु  पर भी कोई विवाद नहीं है कि व्‍यवहार  प्रकरण को पुर्नस्‍थापित करने के लिए आवेदन मूल व्‍यवहार प्रकरण निरस्‍ती दिनांक से 30 दिन की अवधि के अंदर न्‍यायालय में प्रस्‍तुत करना चाहिए। मूल व्‍यवहार प्रकरण निरस्‍ती दिनांक से पुन: स्‍थापन आवेदन दिनांक के मध्‍य की अवधि को सरसरी तौर पर देखने से  यह स्‍पष्‍ट हो जाता  है कि अपीलार्थी एवं वादी द्वारा व्‍यवहार प्रकरण पुर्नस्‍थापना संबंधी आवेदन पत्र बीस दिन के अंदर प्रस्‍तुत किया गया है। इसके अतिरिक्‍त फरवरी माह 20 दिन से  कम अवधि का होता है। अत: ऐसी स्थिति में स्‍वाभाविक रूप से यह प्रमाणित होता है कि अपीलार्थी एवं वादी द्वारा मूल व्‍यवहार प्रकरण को पुर्नस्‍थापित करने के लिए आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 9 नियम 4 सिविल प्रक्रिया संहिता निर्धारित समयावधि 30 दिन के अंदर प्रस्‍तुत दिया गया था। इस संबंध में विद्यवान विचारण न्‍यायालय का निष्‍कष्‍र्ज्ञ त्रुटिपूर्ण है, जिसे अपास्‍थ किया जाता  है। प्रकरण की सभी  परिस्थितियों पर गंभीरता से विचार किया गया।

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