Monday, 23 April 2018

HINDI DICTATION


इस आदेश द्वारा वादीगण द्वारा प्रस्‍तुत आवेदन अंतर्गत आदेश 23 नियम 1 का निराकरण किया जा रहा है। वादीगण द्वारा प्रस्‍तुत आवेदन संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रस्‍तुत वाद की विषय वस्‍तु के संबंध में वादीगण का प्रतिवादी से राजीनामा हो गया है तथा प्रतिवादी ने न्‍यायालय के बाहर अस्‍वस्‍थ कर दिया है कि वह विवादित संपत्ति के विक्रय करने की दशा में हम वादीगण की सहमति प्राप्‍त करेगा। इस आपसी सहमति के आधार पर वादीगण उक्‍त प्रकरण को अब आगे नहीं चलाना चाहते है तथा विवाद होने पर पुन: वादपत्र पेश करने की स्‍वतंत्रता रखते हुए इसी प्रक्रम पर वाद समाप्‍त किए जाने का निवेदन किया है।
            प्रतिवादी द्वारा मौखिक रूप से प्रकट किया गया है कि उसका वादीगण से इस प्रकरण में विवादित सम्‍पत्ति   के संबंध में न्‍यायालय के बाहर राजीनामा हो गया है। एवं उसे वादीगण द्वारा प्रस्‍तुत उक्‍त आवेदन से कोई आपत्ति नहीं है। प्रकरण का अवलोकन किया गया। प्रकरण के अवलोकन से विविध है कि वादीगण द्वारा उक्‍त दिनांक को प्रस्‍तुत वाद प्रतिवादी के विरूद्ध आदेशात्‍मक स्‍थाई निषेधाज्ञा हेतु संस्‍थित किया गया था। वादीगण एवं प्रतिवादी द्वारा संयुक्‍त रूप से पूर्व में एक आवेदन राजीनामा हेतु अंतर्गत आदेश 30 नियम 3 प्रस्‍तुत किया गया था जो न्‍यायालय द्वारा इस आधार पर निरस्‍त किया गया था कि उक्‍त राजीनामा विधि विरूद्ध उद्देश्‍य पर आधारित है।
            वादीगण द्वारा प्रस्‍तुत आवेदन वाद के परित्‍याग हेतु प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें यह प्रकट किया गया है कि वादीगण एवं प्रतिवादी के मध्‍य राजीनामा हो गया है। इसलिए वे प्रस्‍तुत प्रकरण को आगे नहीं चलाना चाहते है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 23 नियम 1 उपनियम 1 के अनुसार वाद संस्थित किए जाने के पश्‍चात वादी प्रतिवादी या उनमें से किसी के भी विरू अपने वाद का परित्‍याग या अपने दावे के भाग का परित्‍याग कर सकेगा। वादीगण द्वारा उक्‍त आवेदन में प्रस्‍तुत प्रकरण को परित्‍याग किए जाने हेतु न्‍यायालय की अनुमति चाही गई है। वादीगण द्वारा अपने आवेदन में यह भी व्‍यक्‍त किया है कि पुन: विवाद होने की स्थिति में वादपत्र पेश करने की स्‍वतंत्रता रखते हुए वाद पत्र बापस प्राप्‍त करना चाहता है। और वादी द्वारा नया वाद कारण उत्‍पन्‍न होने की दशा में नया वाद प्रस्‍तुत करने की अनुमति प्राप्‍त करने का  निवेदन किया है परंतु आदेश 23 नियम 1 के अनुसार वादी उक्‍त आदेश के अंतर्गत केवल प्रकरण में उत्‍पन्‍न वाद कारण के संबंध में नया वाद संस्थित किए जाने की अनुमति प्राप्‍त कर सकता है। नये वाद कारण के लिए नये वाद को संस्थित किए जाने के लिए न्‍यायालय की अनुमति की आवश्‍यकता नहीं होती। जब वादी प्रकरण को आगे नहीं चलाना चाहता, वहां न्‍यायालय वादी को प्रकरण चलाने के लिए वाध्‍य नहीं कर सकता।

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