435
डाक्टर की राय
के अनुसार मृतक की मृत्यु
कार्डियोरेसपिरेटरी आरेस्ट कारण हुई जो स्पिलिन के फटने व अधिक मात्रा में
रक्त स्त्राव से हुई चोट का स्वरूप होमोसाइडल था। मृतक के शरीर में जो चोट थी
वह प्रकृति के सामान्य अनु्क्रम में उसकी
मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त थी।
उसकी मृत्यु शव परीक्षण के 18 से 20 घंटे के पूर्व हुई थी।
मृतक को आई चोट के संबंध में जब डाक्टर
से क्वरी की गई , तो उनहोंने बताया कि प्रकरण में जप्तशुदा लकड़ी से मृतक को उक्त
चोट आ सकती है व उसकी तिल्ली फटने से उसकी मृतयु हो सकती है। अभियोजन की ओर से मृतक के पिता के कथन कराए
गए है जिसने अपने कथनो में यह बताया गया है कि रामटेक से इमली ढाना के भैयालाल के
पास फोन आया था कि ज्वारीलाल को रामसिंह ने मारा, जिससे वह मर गया तब वह
शांतिलाल, साहुलाल व दो-तीन अन्य आदमियों के साथ ज्वारीलाल को देखने रामटेक गया
था, वहां जाकर देखा कि ज्वारीलाल मर चुका था व उसकी लाश आरोपी के घर में पड़ी थी।
उसके पेट, माथा व शरीर के अन्य भागों में चोट थी, इसके उपरांत उसने पुलिस को
सूचना दिया, पुलिस मौके पर आई, उसकी लाश का पंचनामा तैयार किया। लाश को शव-परीक्षण
हेतु खिरकिया अस्पताल भेजा गया।
शवपरीक्षण पश्चात उसे लाश अंतिम संस्कार हेतु दी गई।
इस पकार प्रकरण में प्रस्तुत चिकित्सकीय
साक्ष्य से व मृतक के पिता की साक्ष्य
से यह स्पष्ट है कि घटना दिनांक को मृतक की मृत्यु हुई। डॉक्टर की राय के
अनुसार मृत्क के शरीर में अनेक स्थानों
में चोट थी व उसकी मृत्यु को डॉक्टर ने
होमीसाईडल बताया है इस प्रकार यह भी
प्रमाणित है कि मृतक की मृत्यु मानव बध स्वरूप की थी।
मृतक के पिता ने
अपने कथनों में यह भी बताया है कि मृतक ज्वारीलाल उसका लड़का है, जिसकी शादी सुंदरबाई से हुई थी, उसका लड़का दीपावली के 8 दिन पहले सोयाबीन की मजदूरी करने
ग्राम क्षीपाबड़ आया था। उसकी पत्नि रामटेक में अपने मायके मे रह रही थी तब
उसका लड़का उसे लेने के लिए गया था।
साक्षी कहता है कि वह अपने लड़के की मृत्यु की सूचना पाकर जब वह रामटेक गया तो
उसने अपनी बहु सुदंरबाई समधी व नातिन आदि से पूछा की कैसे क्या हो गया, तो
उनहोंने बताया कि उसे मामा ने मार दिया है। आरोपी के पिता ने भी यह बात बताई।
साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण में रामसिंह
व उसके पिता नंदराम का घर अलग-अलग होना बताया है। परंतु नक्शा मौका प्रदर्श पी-7
के अवलोकन से यह प्रकट है कि इसमें नंदराम व रामसिंह का मकान अगल-बगल होना